एक लड़की के पिता ने, बेटी की तय की सगाई,
पंडित को बुलाकर विवाह की तिथि कराई।
लड़की का पिता बोला,
आज से मेरी बेटी आपकी अमानत है,
आपने इसे अपनाया, ये आपकी इनायत है।
लड़के का पिता फिर बड़े ही प्यार से बोला,
अपनी मनोकामनाओं का तब पिटारा खोला।
हमे बहू मिल गई,बस और क्या चाहिए?
घर जाकर आप शादी की तैयारी कराइए।
दहेज़ के नाम पर हम कुछ नहीं लेंगे,
वो आपकी इच्छा है कि आप क्या-क्या देंगे?
आप तो अपनी बेटी से बहुत प्यार करते हैं,
उसके लिए पैसे की परवाह तक नहीं करते हैं।
आप की इसी खूबी ने तो अपना दिल मिलाया है,
बड़े दिनों बाद ये सुनहरा मौका आया है।
दस लाख रुपए तो आप तिलक में ही दे देंगे,
आप का दिल न टूटे,
इसलिए दिल कड़ा कर हम उन्हें रख लेंगे।
टीवी,कूलर,फ्रिज तो आप उपहार में दे देना,
वाशिंग मशीन,मारुती के साथ बेटी की विदा करा देना।
बस बरातियों का स्वागत आप जी भर के कराइए,
हमें तो दहेज़ से नफ़रत है, हमे कुछ नहीं चाहिए ॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें