शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

"क्या हम सच में इतने अक्षम हैं कि दूसरों के लिए कुछ कर न पायें? ज़रूरत है बस लोगों का दर्द समझने की, उन्हें भी इंसान समझने की। क्या पता हमारा उठाया एक छोटा सा कदम एक नये युग की ही शुरुआत कर दे। बस एक दीपक जलाने की आवश्यकता होती है, फिर तो रौशनी अपने आप ही अंधकार मिटाने चल पड़ती है।"

मेरी एक कहानी......
http://hi.pratilipi.com/read?id=5896671406850048&ret=%2Fsandesh-nayak-swarn%2Fjindagi-dobara