स्वर्ण-सन्देश
सोमवार, 5 जनवरी 2015
उन्होंने हमसे पूछा …
आप बड़े ख़ामोश रहते हैं,
क्या इस खामोशी में भी आप सुकूँ पाते हैं ?
हमने कहा…
अजी हम तो सिर्फ इसलिए ख़ामोशी की चादर में लिपटे हैं,
क्यूंकि सुना था कि ये लोग बेजुबाँ पे ज़ुल्म नहीं ढाते हैं।
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